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महातळ
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مہاتل
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म्हातळ
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महातल
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महातलम्
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மகாசர்ப்பம்
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ମହାତଳ
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మహాతల
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মহাতল
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ਮਹਾਂਤਲ
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મહાતલ
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മഹാതലം
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सप्त पाताल
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चतुर्दश
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चर्तुदश
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आदिखंड - विराट देह
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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विवेकसार - प्रथम वर्णकम्
श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमद्रामेन्द्र यांचे शिष्य श्रीमद्वासुदेवेन्द्रस्वामी या सत्पुरूषांनी संस्कृत भाषेत " विवेकसार " गद्यग्रंथ रचला .
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महावाक्यपंचीकरण - शतक चवथे
ऐतिहासिक पुराव्यांनुसार, समर्थ रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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अध्याय अठरावा - श्लोक १०१ ते १५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय सहावा - श्लोक १५१ ते २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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संकेत कोश - संख्या ७
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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मूळस्तंभ - अध्याय ६
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
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श्री परशुराम माहात्म्य - अध्याय १२
श्री परशुराम माहात्म्य वाचल्याने अपत्यसुख प्राप्त होते शिवाय शत्रूंपासून संरक्षण मिळते.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १२ व १३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय सहावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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अध्याय आठवा
श्री रामानंद स्वामी रचित दीप रत्नाकर.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय पंचवीसावा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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७
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